रायपुर. हार्मोनी म्युजिकल ग्रुप द्वारा मायाराम सूरजन हॉल में 18 मई, शनिवार को की गीत-गानों की कराओके से सुर-संगीतमयी प्रथम कार्यक्रम सम्पन्न हुआ. भारी संख्या में उपस्थित श्रोताओं ने इस कार्यक्रम का तालियों की गड़गड़ाहट से काफी उत्सहावर्धन करते हुए मुक्त कंठ से प्रशंसा की.
ग्रुप के डॉयरेक्टर संजीव ठाकुर ने बताया कि इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वर्ल्ड ब्राह्मण फेडरेशन के संभागीय अध्यक्ष नितिन कुमार झा थे. उन्होंने हार्मोनि म्युजिकल ग्रुप के मंजे हुए बेहतरीन गायक-गायिकाओं सराहना करते हुए कहा कि किसी भी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये संगीत के कार्यक्रम को रखना आवश्यक है तभी वह कार्यक्रम सफल हो पाता है. जब हम कोई कार्य कर रहे होते हैं तो गीतों को गुनगुनाते हैं इससे मन शांत रहता है और थकान नहीं लगती. सफर में हम गाना सुनते हुए ही गंतव्य तक पहुंचते हैं इससे समय कैसे गुजरा पता ही नहीं चलता. उन्होंने विगत 50 वर्षों में रेडियो, रिकॉर्ड प्लेयर, कैसेट, सीडी, पेन ड्राईव सहित रिकॉर्डिंग में आये बदलाव पर भी प्रकाश डाला एवम् आतिथ्य सत्कार हेतु हार्मोनी म्युजिकल ग्रुप के प्रति आभार व्यक्त किया.
इस संगीतमयी कार्यक्रम में रायपुर के अलावा,दुर्ग, भिलाई, जगदलपुर के गायक कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुतियाँ दी. कार्यक्रम शाम 6.30 शुरू होकर देर रात चला. श्रोताओं से खचाखच भरे हॉल में, मनीष झा ने “मैंने रक्खा है मोहब्बत “, ग्रुप के डॉयरेक्टर संजीव ठाकुर ने “कभी होती नहीं जिसकी हार”, प्रेरणा झा ने “दुरी ना रहे कोई “, निधि ठाकुर ने शीर्षक गीत-रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी ना थी “, प्रवीण ठाकुर ने “मेरे दिल ने तड़प के जब नाम “, संध्या झा ने “ये दिल और उनकी निगाहों के साये “, शिवानी झा ने “जाता कहाँ है दीवाने “, आशीष झा ने “ऐ अजनबी तु भी कहीं..” अजय ठाकुर ने “आसमान से आया फरिश्ता “, पूर्णिमा झा ने “दिल में तुझे बिठाकर”, जगदलपुर से आये निशांत मिश्रा ने “दिल हूम हूम करे घबराये “, दुर्ग से आये विकास ठाकुर ने “तुम पुकार लो”, अभिलाषा ठाकुर ने “काहे छेड़ छेड़ मोहे”, भिलाई से आई ऋतु मिश्रा ने “भंवरा बड़ा नादान है”, अंशुमान दत्त मिश्रा ने “साँझ ढले गगन तले”, प्रवेश मिश्रा ने दिल दीवाना “बिन सजना के ” शक्ति मिश्रा ने “सांसों की जरूरत हो जैसे ” आदि गीतों की बेहद मधुर और उम्दा प्रस्तुतियों से श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा और खूब तालियाँ बटोरी.. एंकरिंग संजीव ठाकुर और हिमेश बारमेड़ा ने अपने निराले अंदाज़ में की