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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर में दिनांक 14 फरवरी को संस्थान के ई-हॉल में विज्ञान और आध्यात्म विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका आयोजन राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर और विवेकानंद मानव सेवा प्रकर्ष संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में किया गया | इस ज्ञानवर्धक कार्यक्रम में रामकृष्ण मिशन विवेकानंद यूनिवर्सिटी बेलूर के कंप्यूटर साइंस विभाग के मोनेस्टिक फेकल्टी और वाइस चांसलर स्वामी सर्वोत्तमानंद मुख्य अतिथि वक्ता रहे। इस कार्यक्रम में संस्थान की प्रभारी निदेशक डॉ ए. बी. सोनी, रजिस्ट्रार डॉ पी. वाय. ढेकने, डॉ. ओ. पी. वर्मा , डीन (अकादमिक) डॉ श्रीश वर्मा, डीन (छात्र कल्याण) डॉ नितिन जैन,एसोसिएट डीन (अकादमिक) डॉ शुभांकर भौमिक, डॉ गोवर्धन भट्ट ,अन्य संकाय सदस्य और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगीत और सरस्वती वंदना के साथ हुई। इसके बाद डॉ सोनी ने अपने भाषण से स्वामीजी का अभिवादन किया ,साथ ही संस्थान में इस अद्भुत विषय पर व्याख्यान हेतु उनका अभिनंदन किया। डॉ श्रीश वर्मा ने स्वामीजी के बारे में संक्षिप्त विवरण देते हुए उन्हें वक्तव्य देने के लिए मंच पर आमंत्रित किया। स्वामीजी ने अपने व्याख्यान में विज्ञान के तीन मूलभूत प्रश्नों क्या, क्यों और कैसे पर चर्चा की। स्वामी सर्वोत्तमानंद ने स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं के बारे में बताया, साथ ही विज्ञान और आध्यात्म दोनों के सहजीवी अस्तित्व पर जोर दिया। स्वामी जी ने प्रत्यक्ष (दृष्टि) और अनुमान (तर्क) जैसी उपनिषदिक अवधारणाओं की खोज के माध्यम से, स्वामी सर्वोत्तमानंद ने धर्म का पालन करने में तार्किक होने के विचार पर प्रकाश डाला। स्वामी सर्वोत्तमानंद ने जोर देकर कहा कि विज्ञान हर चीज की व्याख्या नहीं कर सकता है, लेकिन अस्तित्व की समझ के लिए इसमें आध्यात्मिकता के पहलुओं को शामिल करना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने उपस्थित लोगों के प्रश्नों का समाधान किया और विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच अंतर को स्पष्ट किया। कार्यक्रम का अंत में स्वामीजी को मोमेंटो और शॉल भेंट की गई और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन हुआ।