एक्ट्रोसिटी के फर्जी मामले में दोष मुक्त हुए डिप्टी सीएम विजय शर्मा, कहा – सत्य मेव जयते

PTV BHARAT रायपुर। कवर्धा- न्यायालय में चल रहे पुराने एक्ट्रोसिटी मामले में दोष मुक्त होकर कोर्ट परिसर से बाहर निकले उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्थानीय पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा आम गरीब लोगों का राशन कार्ड नही बन रहा था आम जनता गरीब लोग जिनकी जीविका राशन दुकान से मिलने वाली खाद्यान्न सामग्री से चलती है ऐसे लोगो के लिए एक जन प्रतिनिधि के हैसियत से किसी ऑफिस में जाना और अधिकारियों से बात करना तत्कालीन भूपेश सरकार में अपराध हो गया था । राजनीतिक प्रतिद्वंदता न बढ़ जाये इसलिए तत्कालीन विधायक मो अकबर इस तरह के हथकंडे अपनाते थे । लोगो को अलग अलग तरह से परेशान करना प्रताड़ित करना यही तो हुआ पिछले 5 वर्ष के काँग्रेस के कार्यकाल में । किंतु अंत मे सच्चाई की जीत होती है , इसलिए कहा गया है सत्य मेव जयते यह शास्त्रोक्त कथन है प्रमाणित है देर से सही पर सत्य की जीत होती है । माननीय न्यायालय ने उक्त प्रकरण में मुझे और कैलाश चंद्रवंशी को आज दोष मुक्त किया है । उन्होंने कहा यह फर्जी तरीके से कराया गया एफ आई आर था तत्कालीन खाद्य निरीक्षक द्वारा पहले पुलिस को सिर्फ सूचना दिया गया था, फिर एक माह बाद उन्ही खाद्य निरीक्षक द्वारा बाद में यह कहकर की जाती सूचक शब्द बोला गया है दूसरी बार शिकायत किया गया । जिसमे एक्ट्रोसिटी का मामला बनाकर मुकदमा दर्ज किया गया था । माननीय न्यायालय ने इस सभी विषयों को देखते हुए मुझे और कैलाश चंद्रवंशी को दोष मुक्त किया है । उन्होंने कहा हम सामाजिक समरसता के भाव से जीवन जीने वाले लोग है सब का बराबर सम्मान और सबसे अपना पन है । हम पर राजनीतिक प्रेरणा से आधारहीन आरोप लगाए गए थे , जिसमें न्यायालय के सेसन कोर्ट और एक्ट्रोसिटी के विशेष कोर्ट में हमे दोष मुक्त किया है । मैं न्यायालय के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ । उन्होंने बताया कवर्धा में हुए ध्वज विवाद के बाद हमे आरोपी बनाया गया था । ध्वज विवाद प्रकरण में जमानत मिलने के बाद एक्ट्रोसिटी लगाकर 18 दिनों तक जेल भेजा गया । इस प्रकरण में हमे जमानत न मीले इसलिए हर संभव प्रयाश किया था । कोरोना काल मे तीन वर्ष से कम सजा वालों को जमानत देने के नियम के तहत जमानत मिली उस नियम को खत्म करने का रातों रात प्रयाश किया गया था । उन्होंने कहा दर्जनों प्रकरण मुझ पर राजनीतिक कारणों से प्रेरित होकर दर्ज किए गए थे । जिनमें से एक मे मुझे माननीय न्यायालय ने दोष मुक्त किया है । न्यायालय के प्रति हम आभार व्यक्त करते है । देर से ही सही पर जीत तो सत्य की ही होती है , न्यायालय पर पूरा भरोसा है ।

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