जमीन की रजिस्ट्री के बाद आवेदिका ने झूठा मामला दर्ज किया आयोग ने किया नस्तीबद्ध

PTV BHARAT बालोद, 11 सितम्बर 2024
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज संयुक्त जिला कार्यालय सभाकक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज बालोद जिले से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई की गई। इस अवसर पर संजारी बालोद विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा, आयोग के सदस्य सहित जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री विपिन जैन, महिला एवं बाल विकास विभाग, सखी सेंटर के संबंधित अधिकारी-कर्मचारी सहित आवेदक और अनावेदक मौजूद थे। आज के सुनवाई में कुल 23 प्रकरणों पर सुनवाई की गई। जिसमें 13 प्रकरणों में दोनो पक्षों से आवेदक व अनावेदक आए हुए थे। दो प्रकरणों में एक भी पक्ष नही आए थे। 10 प्रकरणों में सिर्फ एक पक्ष ही आए थे। जिसमें से कुछ प्रकरणों का सुनवाई पश्चात् निराकरण किया गया। अध्यक्ष डाॅ. नायक ने आज के सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में पूर्व में भी निर्देशित किया था कि अपने न्यायालयीन दस्तावेजों की प्रति आयोग में प्रस्तुत करें। लेकिन आवेदिका ने दस्तावेज प्रस्तुत किया। अनावेदक ने बताया कि उनके बीच प्रकरण पहले एसडीएम न्यायालय, सिविल न्यायालय, जिला न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है। जिसके दस्तावेज अनावेदक नहीं लाये है। आवेदिका को अनावेदकगणों को निर्देशित किया गया कि वे अपने विस्तृत दस्तावेज का संक्षिप्त विवरण बनाकर आयोग में प्रस्तुत करें। ताकि प्रकरण पर अंतिम निर्णय लिया जा सके।
सुनवाई के दौरान एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के पति का पैर टूटा था जिसको लेकर कंवर थाना में रिपोर्ट दर्ज कराये थे। बाद में उभय पक्ष के बीच समझौता बन गया था जिसके आधार पर कोर्ट से प्रकरण का समझौता हो गया है। अब आवेदिका चाहती हंै कि भरण पोषण दे। वर्तमान में आवेदिका का पति काम करने में असमर्थ है। इलाज का खर्च अनावेदकगण दिये थे। जिसके कारण समझौता किया गया था। अनावेदक का कहना है कि वास्तव में जो आरोपी थे उनका नाम इस प्रकरण में नहीं है। ऐसी दशा में समझौता कराने वाले अनावेदक के ऊपर प्रकरण कराना औचित्य नहीं है। अतः प्रकरण नस्ती बद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में दोनों आपस में पड़ोसी हंै तथा इनके बीच घरेलू विवाद होते है अतः पुलिस में 151 की धारा दर्ज किया है। अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों के बीच खेती के जमीन को लेकर विवाद है दो साल से दिवानी न्यायालय प्रकरण चल रहा है। प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण नस्तीबद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में आवेदिका के बेटी गुम हो गई थी। बाद में पुलिस के द्वारा बरामद किया गया। बेटी को भगाकर लेकर गया था जिसमें अभियुक्त जेल में था तथा प्रकरण न्यायालय में चल रहा है अतः प्रकरण नस्ती बद्ध किया गया।
सुनवाई के दौरान अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उनके पति के संपत्ति की हक आवेदिका को मिल गया है। शेष संपत्ति जो कि संयुक्त परिवार की है। वह अभी नहीं मिली है आवेदिका को समझाईश दिया गया कि परिवार में आना-जाना करे एवं अनावेदक को समझाईश दिया कि आवेदिका और बच्चों के साथ सुलह के साथ रहें। संयुक्त परिवार का एक मकान व बाड़ी है जो वर्तमान में तीन हिस्सेदार है लेकिन आवेदिका के दादा ससुर के जीवित रहते उसमे बंटवारा की मांग नहीं किया जा सकता है। इस समझाईश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक को साहूकार बताकर मामला प्रस्तुत किया था लेकिन अनावेदक ने जमीन का बेच नामा दिवानी मामले के दस्तावेज प्रस्तुत किये जिससे यह स्पष्ट होता है कि आवेदिका ने अनावेदक का नाम पर मैनामा किया है उसे 8 लाख 20 हजार प्राप्त किया है। वर्तमान में प्रकरण दिवानी न्यायालय में विचाराधीन है अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसने जब प्रकरण लगाया था तब गांव से सामाजिक बहिस्कार किया था जो अब समाप्त हो गया है। थाना अर्जुन्दा ने समझौता कराया था दस्तावेज प्रस्तुत्त किया है। जिसके आधार पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

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