भाजपा के भीतर असंतोष के आरोप फिलहाल अनूपपुर सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबले की झलक

अनूपपुर। आगामी 17 नवंबर को होने जा रहे मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों सहित आम मतदाताओं के भी सिर चढ़कर बोलने लगा है हर तरफ देखने को मिल रहा है कि आम जनजीवन में जरा सा सक्रिय आदमी भी पूरी तरह चुनावी रंग में रंगा हुआ खुद को महसूस कर रहा है शहडोल संभाग में सबसे हॉट सीट रही जिले की अनूपपुर विधानसभा इस बार फिर से राजनीतिज्ञों के लिए विशेष रुचि और सुर्खियों भरी स्वीट बनी हुई है।
मतदाता अभी है मौन
जानकारों का कहना है कि यहां के अधिकांश मतदाता भी इन दोनों मान रहे हैं कि अधिकांश क्षेत्रों में कांग्रेस और भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला नजर आ रहा है यह आवश्यक है कि इस रुझान को बदलने के लिए अभी सभी मतदाता अपनी ओर से प्रयास कर रहे हैं जिससे उनके पक्ष में ज्यादा से ज्यादा मतदाता लामबंद हो सके और उनको कामयाबी मिले उधर मतदाता जनसंपर्क के लिए पहुंचने वाले प्रत्याशियों को समर्थन देने की बात सुनते तौर पर कर रहे हैं पिंटू उनकी पसंद क्या है इस पर खुलकर नहीं बोलते।
रोमांचक मोड़ पर पहुंच विधानसभा का चुनाव
वर्तमान में अनूपपुर विधानसभा चुनाव में हाल फिलहाल जो नजारा देखने को मिल रहा है वह बेहद ही रोचक है क्योंकि इस वक्त आज की तारीख में अनूपपुर विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच अधिकांश क्षेत्रों में सीधे फाइट देखी जा रही है हालांकि अभी दो से तीन दिन बाकी है इस दौरान माहौल भी बदल सकता है और रुझान भी इसी के मध्य नजर भाजपा द्वारा भी जिन क्षेत्रों में उसकी स्थिति कमजोर मिलती है वहां सघन जनसंपर्क शुरू किया जा रहा है उसका यह प्रयास कितना रंग लाता है यह भी आने वाले दिनों में दिखेगा राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से काफी अरसे से जनसंपर्क शुरू कर दिया गया है अधिकांश स्थानों में कांग्रेस पार्टी ग्राम पंचायत में क्रम से संबंधित जा चुका है इस वजह से चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के पूर्व से ही कांग्रेस के पक्ष में अधिकांश मतदाता नाम बंद नजर आ रहे थे बाद में भाजपा की एंट्री हुई और भाजपा प्रत्याशी भी चुनाव को लेकर अपना चुनावी जनसंपर्क काफी तेजी के साथ शुरू किया गया लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि उम्र के हिसाब से भाजपा प्रत्याशी की अपेक्षा कांग्रेस प्रत्याशी अधिक ग्रामों तक तेजी से पहुंच रहे हैं और पार्टी के कार्यकर्ता तो सघन जनसंपर्क कर ही रहे हैं। यह आवश्यक है कि भाजपा के पक्ष में हर जगह मतदाता है किंतु अधिकांश मतदाताओं की पसंद अब बदलती नजर आ रही है। जानकार का कहना है कि भाजपा की ओर भले ही पार्टी के प्रचारक प्रदेश स्तर के आ रहे हैं वहीं कांग्रेस पार्टी में सभी स्थानीय कांग्रेस नेता पुरजोर प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी टुकड़ों टुकड़ों में सभा कर अपनी ओर आकर्षित कर रही है तो वहीं भाजपा में एक निश्चित स्थान पर प्रदेश के स्टार प्रचारक आते हैं और सभा होती है। प्रत्याशियों का यह प्रयास है कि विधानसभा क्षेत्र के सभी गांव में स्वयं पहुंचे।
भाजपा में दिखने लगे भीतरघात
अनूपपुर जिले की अनूपपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। भारतीय जनता पार्टी ने जहां उपचुनाव में जीते प्रत्याशी को वर्ष 2023 के आम चुनाव में भीप्रत्याशी बनाया है और बिशाहू लाल सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस पार्टी जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रमेश सिंह को पहली बार इस सीट पर चुनावी मैदान में उतार रखा है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है वैसे-वैसे चुनावी समर कारण भी रोचक मोड़ लेते नजर आ रहे हैं। इस सीट पर पिछली मर्तबा के चावन पर नजारे की बात की जाए तो यहां कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को कार्यकर्ताओं के भीतरघात का खामियाजा भुगतना पड़ा था वही असर इस बार भाजपा में दिख रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के आल्हा कमान ने स्थिति पर बराबर नजर रखे हुए हैं ताकि कोई भी कार्यकर्ता बगावत की स्थिति पैदा ना कर सके। वहीं भाजपा के प्रत्याशी उपचुनाव में काफी इंट्रो से जीत के बाद उत्साह में दिख रहे हैं जो ना तो चुनावी समीक्षा करने की जरूरत महसूस कर रहे हैं और ना ही सभी कार्यकर्ताओं के बीच समानता का भाव ही पैदा कर पा रहे हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के कई जमीनी कार्यकर्ता अपने आप को उपेक्षित और ठगा सा महसूस कर रहे हैं जो सार्वजनिक तौर पर भाजपाई बनी है लेकिन अंदर खाने में विकल्प ढूंढ रहे हैं। सूत्रों की माने तो यदि ऐसे कार्यकर्ताओं पर भाजपा प्रत्याशी अधिक दबाव डालेंगे तो बगावत की स्थिति पैदा हो सकती है और खुलेआम दूसरे पार्टी में ऐसे कार्यकर्ता जा भी सकते हैं। पूर्व में भी प्रत्याशी चयन को लेकर भारतीय जनता पार्टी में असंतोष की स्थिति भी पैदा हो चुकी थी और कई असंतुष्ट कार्यकर्ता भाजपा कार्यालय भी पहुंच कर विरोध भी जताआए थे। सूत्रों की माने तो ऐसे कार्यकर्ताओं को फ्री छोड़ दिया गया है तो वह भीतरघाट भी कर सकते हैं जो भाजपा प्रत्याशी के लिए अनुकूल नहीं माना जा सकता।
सूत्रों की माने तो अमलाई नगर परिषद में पूर्व की भांति स्थिति नहीं है और यहां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में कड़ा संघर्ष देखने को मिल रहा है। अनूपपुर नगर पालिका में भी असंतुष्ट कार्यकर्ता भाजपा का समीकरण बिगाड़ रहे हैं। जैतहरी नगर परिषद में वैसे भी भारतीय जनता पार्टी में दो ग्रुप पहले से था और वहीं के स्थानीय निवासी को प्रभारी बनाए जाने के कारण दूसरा ग्रुप नाराज भी दिख रहा है। पषाण नगर पालिका में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष शिवराज दत्त त्रिवेदी के कांग्रेस में आ जाने के बाद और सेक्टर प्रभारी बन जाने के बाद कांग्रेस मजबूत स्थिति में बन चुकी है वहीं दखल ग्राम पंचायत जो कि भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष का ग्रह ग्राम है वहां भी जिला अध्यक्ष के भाई कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और यहां भी भाजपा एवं कांग्रेस में संघर्ष देखने को मिल रहा है। सूत्रों की माने तो जिस नेता को विधानसभा का प्रभारी बनाया गया है उस नेता से पार्टी के कई संतुष्ट कार्यकर्ता नाराज हैं जो अपनी नाराजगी भाजपा के वोट बैंक को खराब करने में कर सकते हैं। जिला पंचायत वार्ड क्रमांक,3 4,5 एवं तीन में पहले भारतीय जनता पार्टी को लीड मिलती थी लेकिन इस बार यहां भी संघर्ष देखने को मिल रहा है। हालांकि खूंटा टोला एवं आसपास के कई ग्राम पंचायत में भारतीय जनता पार्टी मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है। हालांकि चुनाव की स्थिति क्या होती है यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही देखने को मिल पाएगा लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में अनूपपुर विधानसभा सीट में भाजपा को कांग्रेस कड़ी टक्कर देते नजर आ रही है।

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