इन्वेस्टर मीट के दावें केवल कागजी, सरकार की नीतियां स्थानीय उद्योगों के खिलाफ़ है

रायपुर/24 जनवरी 2025। छत्तीसगढ़ में निवेश को लेकर सरकार के दावों पर सवाल खड़ा करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पिछले 13 महीने की सरकार के दौरान उद्योग के अनुकूल माहौल दे पाने में भाजपा सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। छत्तीसगढ़ में साय सरकार आने के बाद से 1 वर्ष के भीतर ही चार-चार बार बिजली के दाम बढ़े हैं। स्टील उद्योग को छत्तीसगढ़ की रीढ़ कहा जाता है, हमारे प्रतिस्पर्धी राज्य उड़ीसा और झारखंड है जहां पर कम कीमत में बिजली मिल रही है। जमीन हमारी, कोयला हमारा, पानी हमारा और हमारे ही लोगों को दो से तीन रुपया प्रति यूनिट अधिक दाम पर बिजली यह कहां का न्याय है?

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि सरकार की गलत नीतियों के चलते विगत 1 वर्ष के भीतर 180 से अधिक मैं स्टील प्लांट और रोलिंग मिल बंद हुए हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन दिया गया जिसके चलते 12 एथेनॉल प्लांट लगे, मक्का प्रोसेसिंग प्लांट बने, कोदो, कुटकी रागी की प्रोसेसिंग शुरू हुई, 2018 से 2023 के बीच प्रदेश में 700 से अधिक नए राइस मिल बने लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद उद्योगों पर संकट गहरा गया जिसके चलते विगत एक वर्ष में 300 से ज्यादा राइस मिलें बंद हो गई। नये इन्वेस्टर तो दूर लगे लगाये उद्योग का संचालन मुश्किल हो रहा है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि सरकार का इन्वेस्टर्स कनेक्ट कार्यक्रम केवल राजनीतिक पाखंड है हकीकत यह है कि विगत 13 महीना की सरकार के दौरान एक नया पैसा इन्वेस्ट नहीं हुआ है। इसी तरह 15 साल तक रमन सरकार में भी इसी तरह नये इन्वेस्ट के प्रपोजल के नाम पर प्रदेश की जनता को झूठे सपने दिखाकर ठगा गया। कभी 50-50 हजार मेगावाट के पावर प्लांट लगाने के नाम पर, कभी औषधि खेती के नाम पर तो कभी रतनजोत के नाम पर बड़े पैमाने पर जमीनें भू माफियाओं को सौंप गई। बिना उद्योग लगाए 4200 एकड़ जमीन लोहड़ीगुडा में लैंडबैंक बना कर रखा था जिसे कांग्रेस की सरकार ने वहां के स्थानीय आदिवासी किसानों को निःशुल्क लौटाया।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा सरकार की बुरी नीयत केवल छत्तीसगढ़ के संसाधनों पर है। पहले बाल्को को बेचा, नंदराज पर्वत फर्जी तरीके से लीज पर दिये अब एनएमडीसी का नगरनार प्लांट निजी उद्योगपतियो को बेचने की तैयारी है। स्थानीय उद्योग और उद्योगपतियों को संरक्षण देने की जरूरत है। कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन देने की जरूरत है लेकिन यह सरकार स्थानीय उद्योगों को सुविधाएं देने के बजाय उनकी उपेक्षा करके बाहर के उद्योगपतियों को झांसा दे रही है, ज़मीनी हक़ीक़त दावे के विपरीत है।

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