PTV BHARAT रायपुर सहारा पीड़ित जमाकर्ता कार्यकर्ता कल्याण संघ ने पत्रकार वार्ता ले कर पोर्टल की विसंगतियों की ओर शाशन का ध्यान खाीचा उन्होने अपनी जारी विज्ञप्ति में कहा कि सहारा इंडिया की समस्त सोसायटियों के पीड़ित निवेशकों के भुगतान के लिए 18 जुलाई 2023 को भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय द्वारा जारी सहारा रिफंड पोर्टल के लान्च होने से पीड़ित निवेशकों में भुगतान हेतु विश्वास जागृत हुआ कि भारत सरकार हम सभी को व्याज सहित पूर्ण भुगतान अतिशीघ्र कराने में सहायक सिद्ध होगी। पूरे भारत वर्ष में पोर्टल पर क्लेम भी किया गया लेकिन अनेक प्रकार की डिफिसियेंसी से अवगत कराया जा रहा है, कई प्रकार की गंभीर विसंगतियां निवेशक गणों को पोर्टल में बताई जा रही हैं। उन विसंगतियों को निवेशक गण किसी भी परिस्थिति में पूर्ण नहीं कर सकते हैं। विसंगतियों को सहारा सोसायटियों के प्रबंधन द्वारा ही जानबूझकर भुगतान न करने के उद्देश्य से अपने निवेशकों को उलझाये रखने के तहत् सोसायटी प्रबंधन की यह सोची समझी रणनीति है। इन डिफिसियेंसी को यदि सहारा सोसायटी प्रबंधन चाहे तो इसका पूर्ण समाधान कर सकता है चूंकि डिफिसियेंसी की स्थिति निर्मित नहीं है। पूर्व में सोसायटी प्रबंधन अपने कार्यालयों से भुगतान करती
थी तो इन डिफिसियेंसियों का कोई वजूद या औचित्य नहीं होता था तो आज क्यों ?
छ.ग. में सहारा इंडिया की 3 सोसायटियां कार्यरत हैं। 1. सहारा क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी 2. स्टार्स मल्टीपर्पस कॉपरेटिव सोसायटी 3. सहारियन यूनिवर्सल मल्टीपर्पस कॉपरेटिव सोसायटी। इन तीनों सोसायटियों में हमारे छत्तीसगढ़ प्रदेश के लगभग 25 लाख से अधिक पीड़ित परिवार हैं। इन सबकी कुल परिपक्वता राशि लगभग 20,000 हजार करोड़ से अधिक है। विभिन्न संगठनों के बैनर तले हजारों पीड़ितों द्वारा लगभग 5 वर्षों से प्रदेश में निरंतर ज्ञापन (प्रशासन को) धरना, प्रदर्शन, अनशन जैसे जन- आंदोलन करते हुए शासन प्रशासन का ध्यान इस ओर सदैव आकृष्ट कराते रहे हैं लेकिन पूर्व एवं वर्तमान सरकार द्वारा किसी भी प्रकार से निवेशकों के हितों पर ध्यान नहीं दिया गया है।
अब वर्तमान में सी.आर.सी.एस. पोर्टल के प्रति ही निवेशकों की अंतिम आशा, उम्मीद जागी थी कि शायद अब भुगतान मिलना प्रारंभ हो जायेगा लेकिन निराशा ही हाथ लगी। सहारा रिफड पोर्टल से भी भुगतान नहीं मिला और अनैतिक नियमों, कायदे-कानूनों में उलझाकर आम जमाकर्ताओं को उलझा दिया गया। यह पीड़ित निवेशकों के साथ अन्यायपूर्ण रवैय्या प्रतीत होता है जोकि पीड़ित निवेशकों के हितों में सोचनीय एवं विचारणीय है।
हमारे संगठन के सभी सदस्यगण सहारा इंडिया / सोसायटियों को भलीभांति जानते हैं चूंकि हमारे संगठन में वरिष्ठ साथी सहारा के कार्यकर्ता / प्रबंधक के रूप में अनेक वर्षों तक कार्य किये हैं इसलिए सहारा की नीति-नियम एवं सहारा प्रबंधन की रणनीति एवं कूटनीति से हम सभी वाकिफ हैं। सहारा की सोसायटियों ने अनेक प्रकार की मेनुपुलेशन का सहारा लेते हुए निवेशकों का धन विभिन्न योजनाओं में कन्वर्ट करवाते हुए जमा किया गया है जिस तरीके से जमाधन लिया है ठीक उसी प्रक्रिया से मेच्यूरिटी राशि दिया जाना ही सही प्रक्रिया है। निवेशकों द्वारा पूर्ण के. वाय. सी. सहित सोसायटी के नियमों का राशि निवेश करते समय पूर्ण पालन किया गया है जैसे शेयर फार्म, मेम्बरशिप फार्म, निवेश योजना का फार्म, फोटो, बैंक डिटेल इत्यादि दिया गया था इसी के उपरांत स्थानीय सोसायटी कार्यालयों द्वारा जमा रसीद एवं सर्टिफिकेट / पासबुक जारी किया गया था। जब जमा करते समय निवेशकों द्वारा पूर्ण प्रपत्र सोसायटी को दिये गये थे तो आज भुगतान के समय इतनी विसंगतियों युक्त डिफिसियेंसी क्यों ?