PTV BHARAT महासमुंद पूर्व संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश के हजारों स्कूल ऐसे हैं जो एक शिक्षकीय हैं तथा कई शिक्षक विहीन हैं। इन स्कूलों में सरकार शिक्षक नियुक्त नहीं कर पा रही हैं। इसके अलावा युक्तियुक्तकरण की नीति अपनाकर प्रदेश के हजारों डीएड, बीएड धारी युवाओं के शिक्षक बनने के सपने को चकनाचूर करने का काम भाजपा सरकार ने किया है। अब भाजपा की जुमलेबाज सरकार ने स्कूलों में रोबोटिक तथा एआई तकनीक से शिक्षा देने की योजना बनाई है। बस्तर के 800 स्कूलों में प्रयोग के तौर पर इसे शुरू करने की योजना है। इसके लिए मुंबई की एक निजी संस्था से सरकार ने तीन साल का एग्रीमेंट किया है। जो केवल निजी कंपनी को करोड़ों का आर्थिक लाभ पहुंचाने की जुगत है। श्री चंद्राकर ने विज्ञप्ति में कहा कि पहले बस्तर के जिन 800 स्कूलों का चयन तकनीकी शिक्षा के लिए सरकार द्वारा किया गया है, उनमें अधिकांश स्कूल एक शिक्षकीय तथा शिक्षक विहीन है। वस्तर में 425 स्कूल सिंगल
टीचर के भरोसे संचालित हैं। कांकेर में 318 और रायगढ़ में 251, बलरामपुर 251 और सूरजपुर में 236 स्कूल शिक्षक विहीन है। इन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। इसके अलावा आदिवासी बहुल बीजापुर में 51 और बलरामपुर में 23 स्कूल शिक्षक विहीन हैं। आदिवासी बहुल इन क्षेत्रों में कुल 12 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं। सरकार उसे भर नहीं रही। और बात एआई और रोबोटिक्स की शिक्षा देने की कर रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन स्कूलों में बच्चों को ये शिक्षा देगा कौन? क्योंकि, जो जानकारी निकलकर सामने आ रही है, उसमें यह पता चला है कि जिस संस्था के साथ सरकार ने साझेदारी की है, उनके द्वारा चयनित स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षणा दिया जाएगा। ऐसे में जिन स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है, वहां किसे प्रशिक्षण मिलेगा तथा कौन इन बच्चों को तकनीकी शिक्षा देंगे। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि सरकार का पूरा सिस्टम भगवान भरोसे चल रहा है।