PTV BHARAT 29 APRIL रायपुर। राजधानी सहित सफेद पोश नेताओ्ं से संरक्षण में वर्षों से छत्तीसगढ़ में रह रहे अवैध नागिरकों का अब बच पाना मुश्किल है। पुलिस बहुत सघन तरीके से कानूनी दस्तावोजों की जांच शुरू कर दी है। जिसके चलते अवैध पाकिस्तानियों को संरक्षण देने वाले नेता अंडरग्राउंड हो गए है। पुलिस की टीम पूरे प्रदेश में अवैध नागरिकों की पहचान की ताबड़तोड़ कार्रवाई कर अवैध नागिरकों को देश निकाला करने मे ंजुट गई है। छत्तीसगढ़ में अवैध नागरिकों की पड़ताल होने से अवैध नागरिकों में हड़कंप मचा हुआ है। पुलिस ने बिलासपुर ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 300 अवैध नागरिकों की पहचान की है। पकिस्तान-बांग्लादेश के कई ऐसे लोग है जो छत्तीसगढ़ में राजधानी के आसापास गांवों और कस्बों के साथ राजधानी सहित माना राजिम ,धमतरी , भाटापारा , तिल्दा-नेवरा, मुंगेली बेमेतरा, बीरगांव, पखांजूर, अंतागढ़, संतोषी नगर, बिलाईगढ़, बिलासपुर जैसे कई शहरों में अवैध रूप से निवास कर रहे है। कांग्रेस शासनकाल के दौरान छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों में बांग्लादेशी और पाकिस्तानी नागरिकों के अवैध रूप से बसने के गंभीर आरोप सामने आए हैं। पखांजूर, अंतागढ़, गीदम, जगदलपुर, बीजापुर, भाटापारा, तिल्दा-नेवरा, बीरगांव, भनपुरी, भिलाई, दुर्ग, सरायपाली, बसना और धमतरी जैसे इलाकों में लाखों की संख्या में अवैध रूप से विदेशी नागरिकों के बसने की बात कही जा रही है। आरोप है कि स्थानीय छुटभैये नेताओं और कथित तौर पर ‘नाड़ा-पायजामा’ गिरोह से जुड़े लोगों ने बड़े पैमाने पर इन विदेशी नागरिकों को न सिर्फ बसाया, बल्कि फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में भी मदद की। अवैध रूप से रह रहे इन नागरिकों के लिए आधार कार्ड, मतदाता परिचय पत्र और अन्य सरकारी पहचान पत्र बनवाने के लिए भारी मात्रा में पैसे खर्च किए गए।