PTV BHARAT नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपित गौतम नवलखा से मंगलवार को साफ कहा कि आपने स्वयं घर में नजरबंदी का अनुरोध किया था। ऐसे में आप नजरबंदी के दौरान महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुरक्षा के लिए मुहैया कराए गए पुलिस कर्मियों का खर्च उठाने के दायित्व से बच नहीं सकते हैं। नवलखा नवंबर 2022 से मुंबई में सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद हैं। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ को एनआइए ने बताया कि नवलखा को सुरक्षा खर्च के लिए 1.64 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। एनआइए की ओर से पेश एडिशनल सालिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि उनकी नजरबंदी के दौरान सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं। नवलखा ने पहले 10 लाख रुपये का भुगतान किया था और अब वह भुगतान नहीं रहे हैं। यह प्रतिदिन बढ़ रहा है और वह इससे बच नहीं सकते हैं। इस पर नवलखा के वकील ने कहा कि भुगतान में समस्या नहीं है लेकिन मुद्दा गणना का है। गत सात मार्च को नवलखा के वकील ने शीर्ष अदालत में इस सुरक्षा खर्च के आंकड़े पर विवाद खड़ा कर दिया था और एजेंसी पर जबरन वसूली का आरोप लगाया था।