नई शिक्षा नीति संवैधानिक मूल्यों के प्रतिकूल और व्यापारिकरण का मार्ग प्रशस्त करती है इसका खिलाफत करने आम जनता आगे आये:प्रो .आर.के.मंडल

रायपुर l बनारस हिंदू वि वि, वाराणसी में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर आर. के. मंडल ने कहा कि नई शिक्षा नीति संवैधानिक मर्यादाओं एवं भारतीय नीति शास्त्रीय पद्धति दोनों का पालन नहीं करती है l यह नीति हाशिये में खड़े समाज के कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा जगत के दरवाजे सदैव के लिये बंद कर देगी l विश्व गुरु बनने के दावों के बावजूद एन ई पी का रुख अकादमिक स्वतंत्रता व शैक्षणिक परिसरों की स्वायत्तता को समाप्त करने की ओर जाता है l नई शिक्षा नीति में प्रश्न पूछने, तर्क व विमर्श की कोई गुंजाईश नहीं है l सरकार द्वारा शिक्षा हेतु फंड का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किये जाने से सार्वजनिक शिक्षा को कार्पोरेट व निजी समूहों हेतु आउट सोर्स किया जायेगा l इससे शिक्षा महंगी होगी l शिक्षा के अंधाधुंध डिजिटीलाईजेशन पर जोर दिया जा रहा है l सन् 1948 में डॉ राधाकृष्णन से लेकर 1968 के कोठारी कमीशन व 1985 की शिक्षा नीतियों के साथ नई शिक्षा नीति कोई सुसंगत कार्यक्रम प्रस्तुत नहीं कर पा रही है l देश के आम नागरिक समावेशी व जन शिक्षा नीति को बचाने राजनीतिक बदलाव की दिशा में आगे बढे l
उल्लेखनीय है कि ” भारत के लिए लोग मंच ” द्वारा कल 16 जुलाई की शाम एल आई सी रायपुर मंडल कार्यालय में “नई शिक्षा नीति — दावे और हकीकत” विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया था l सेमीनार में आर डी आई ई यू, एस एफ आई, डी वाय एफ आई, सी एन एस एस एस, एस टी यू सी एवं सी जी एस पी यू आदि संगठनों के सदस्यों , रंगकर्मियों, छात्रों, शिक्षकों व बुद्धिजीवियों ने बडी संख्या में भागीदारी की l सेमिनार की अध्यक्षता शिक्षाविद श्रीमती नीतू अवस्थी ने की l कार्यक्रम का संचालन मंच के संयोजक धर्मराज महापात्र द्वारा किया गया l उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति पर देश भर में जारी बहसों के क्रम में छत्तीसगढ़ की राजधानी मे संपन्न इस सेमिनार ने शिक्षा के बढ़ते निजीकरण, राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में बहुसंख्यक समुदाय की धार्मिक मान्यताओ को सम्मिलित किये जाने, नई शिक्षा नीति में संविधान की धर्म निरपेक्ष, लोकतांत्रिक व समाजवादी अंतर्वस्तु को तिलांजलि देने तथा शिक्षा व्यवस्था में राज्य के अराजक निरंकुशता को हावी करने के प्रयासों के प्रति गंभीर रोष व्यक्त करता है l विशेषकर विश्व विद्यालय में मनु स्मृति पढ़ाने तथा आकाश मिसाईल के मॉडल को गेट मे रखे जाने जैसे कदम शिक्षा जगत में अवैज्ञानिक व तानाशाही रूख थोपे जाने को प्रतिबिंबित करते है l सेमिनार ने शिक्षकों को बड़े पैमाने पर चुनाव व जन गणना जैसे गैर शैक्षणिक कार्यो में संलग्न किये जाने का भी विरोध किया क्योंकि इससे छात्रों व शिक्षकों के बीच दूरी पैदा होती है l सेमिनार की अध्यक्षता कर रही नीतू अवस्थी ने कहा कि शिक्षा नीति में बेतहाशा डिजिटिलाईजेशन व इस हेतु सरकारी फंड का अभाव सीधे सीधे पालकों की जेबों पर डाका डाल रहा है l सेमिनार में उपस्थित छात्र छात्राओं गर्व गभने, हर्ष मंधानी, रोजा अली, फिजा अली ने भी वैज्ञानिक व धर्म निरपेक्ष स्वरूप की शिक्षा प्रणाली की मांग की जिससे छात्र परीक्षा या बस्तों के बोझ से मुक्त होकर सत्य व ज्ञान की खोज में उन्मुक्त होकर प्रयास कर सके l सेमिनार के अंत में एक प्रश्न सत्र भी रखा गया था जिसमें मुख्य वक्ता प्रो. आर. के. मंडल ने श्रोताओं के प्रश्नों का जवाब दिया l प्रश्नोत्तर सत्र में प्रो. मंडल ने कहा कि ऐसे बिलों को संसद के पटल पर ही रोके जाने की जरूरत है और इस हेतु राजनीतिक परिवर्तन जरूरी हो गया है l आर डी आई ई यू के महासचिव सुरेंद्र शर्मा द्वारा प्रस्तुत आभार प्रदर्शन के साथ सेमिनार समाप्त हुआ l

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