PTV BHARAT 30 09 2024 लेखक: श्री तोखन साहू, केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास राज्यमंत्री
हमारा देश अब स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की दसवीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। यह एक परिवर्तनकारी दशकीय यात्रा रही है, जिसके बारे में विचार करने पर प्रभाव बेहद गहरे नजर आते हैं। एक ऐसा मिशन जिसने भारत में स्वच्छता और सफाई के नए पैमाने स्थापित कर एक नई परिभाषा गढ़ी है। 2 अक्टूबर 2014 को शुरू किया गया यह मिशन केवल एक पहल नहीं, बल्कि एक आंदोलन था – हर एक नागरिक को स्वच्छ, स्वस्थ और ‘विकसित भारत’ में योगदान देने का आह्वान। आज, एसबीएम ने अपना फोकस केवल शौचालयों के निर्माण और उन तक नागरिकों की पहुंच को बढ़ाने तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि इसमें विभिन्न समुदायों के लिए प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन पद्धतियां अपनाने के बारे में स्पष्ट रूप से मार्गदर्शन को भी शामिल किया है। यह बदलाव स्वच्छता के लिए जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देता है, सभी व्यक्तियों को अपने समाज की भलाई में सक्रिय रूप से योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करता है। हमारे प्रधानमंत्री ने इस पहल को आगे बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप भारत खुले में शौच से मुक्त हुआ और हमारे समुदायों में जनभागीदारी की अनोखी अलख जगी।
शहरी क्षेत्रों में, एसबीएम ने अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण का नेतृत्व किया है। कुशल अपशिष्ट पृथक्करण प्रणालियों के कार्यान्वयन से लेकर अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना तक, देश भर के शहरों ने आज अभिनव समाधान अपनाए हैं, जो कि वर्ष 2014-2024 के बीच हमारे माननीय प्रधानमंत्री कुशल मार्गदर्शन में दूरदर्शी नेतृत्व और अथक प्रयासों से ही संभव हुआ है।
स्वच्छ सर्वेक्षण के रूप में एक वार्षिक स्वच्छता सर्वे की शुरूआत हुई, जिसने शहरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया। इसने शहरों को सफाई और स्वच्छता संबंधी मानकों का स्तर बढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया है, साथ ही स्वच्छता को स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के साथ जोड़ा है।
स्वच्छ भारत मिशन के मूल में समाज के हर वर्ग और समुदायों की सक्रिय भागीदारी है। स्कूली बच्चों से लेकर महिला समूहों तक, सभी नागरिक स्वच्छता के प्रहारी बन गए हैं। राज्य सरकारों ने स्थानीय स्तर पर राष्ट्रीय नीतियों को लागू किया है और स्वच्छता को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश स्थापित किए हैं। उन्होंने सार्वजनिक शौचालयों और अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ शहरों में विशिष्ट स्वच्छता संबंधी रणनीतियां तैयार की हैं। साथ ही, नगरपालिका कर्मचारियों और सफ़ाई कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से क्षमता निर्माण में भी निवेश किया गया है। राज्यों ने निरंतर प्रगति को ट्रैक करने और उसके आवश्यक समायोजन के लिए मजबूत निगरानी और मूल्यांकन तंत्र के साथ स्तर को बेहतर बनाया है, और स्वच्छ सर्वेक्षण का एक उपकरण के रूप में उपयोग किया है। विभिन्न क्षेत्रों के साथ सहयोग करके, मिशन ने स्थानीय निकायों, गैर सरकारी संगठनों और नागरिकों को एक साझा लक्ष्य की दिशा में मिलकर काम करने के लिए सशक्त बनाया है। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप पर जोर देने के साथ-साथ संसाधन जुटाने और तकनीकी क्षेत्र में इनोवेशन प्रोसेस को आसान बनाया गया है, जिससे स्वच्छता संबंधी समाधान अधिक सुलभ और स्थायी बन गए हैं। इसके अतिरिक्त, सफाई मित्र सुरक्षा शिविर जैसी पहल हमारे स्वच्छता नायकों को स्वास्थ्य जांच की सुविधा प्रदान करती हैं और उनको मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाती हैं, जो सामुदायिक स्वास्थ्य की दिशा में भी मिशन के व्यापक दृष्टिकोण पर जोर देती हैं।
यह सुनिश्चित करना बेहद महत्वपूर्ण है कि स्वच्छता सेवाएं, समाज के बेहद पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए भी समावेशी एवं न्यायसंगत हों और एसबीएम ने यह काम सफलतापूर्वक किया है। इसी तरह के उदाहरणों में से एक है, जिसे मैंने भी करीब से देखा है और यह छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर में हुआ है। एक विकेंद्रीकृत अपशिष्ट प्रबंधन योजना के साथ लगभग 200,000 निवासियों वाले इस शहर ने लैंडफिल पर जाने वाले कचरे को प्रभावी रूप से घटाने का काम किया है और स्रोत पर ही इसके लिए विशेष प्रबंध किया गया है, जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी प्राप्त हुई है।