PTV BHARAT – नई दिल्ली। बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। साथ ही पीठ ने कहा कि यह इस अदालत का कर्तव्य है कि वह मनमाने आदेशों को जल्द से जल्द सही करे और जनता के विश्वास की नींव को बरकरार रखे न्यायमूर्ति नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्लेटो ने कहा था कि सजा प्रतिशोध के लिए नहीं, बल्कि सुधार के लिए है। क्यूरेटिव थ्योरी के में सजा की तुलना दवा से की जाती है, अगर किसी अपराधी का इलाज संभव है, तो उसे मुक्त कर दिया जाना चाहिए। यह सुधारात्मक सिद्धांत का आधार है। लेकिन पीड़ित के अधिकार भी महत्वपूर्ण हैं। नारी सम्मान की पात्र है। क्या महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों में छूट दी जा सकती है? ये वो मुद्दे हैं जो उठते हैं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “हम योग्यता और स्थिरता दोनों के आधार पर रिट याचिकाओं पर विचार करने के लिए आगे बढ़ते हैं। इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद ये बातें सामने आती हैं: 1. क्या पीड़िता द्वारा धारा 32 के तहत दायर याचिका सुनवाई योग्य है? 2. क्या छूट के आदेश पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिकाएं मानने योग्य हैं