बुर्जुग मां को धर्म परिवर्तन कर तंग करने वाली बेटियो का प्रकरण आयोग ने नस्तीबध्द किया

PTV BHARAT छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. सदस्यमयी नायक एवं गणों श्रीमती सरला कोसरिया, श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, श्रीमती प्रियंवादा सिंह जूदेव ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला प्रस्तुतिकरण से संबंधित प्रकरणों की समीक्षा की। आयोग के अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक की नासिका में आज 286 वि. समीक्षा हुई। रायपुर जिले में कुल 137 वि. जनसुनवाई.

आज की सुनवाई के दौरान अनावेदक पक्ष ने बुजुर्ग आवेदिका के जमीन को बंधनमुक्त करने के लिए दो माह का समय मांगा था, आज की सुनवाई में उपस्थित अनावेदक ब्रांच मैनेजर ने कहा कि यह ब्रांच मैनेजर की अथॉरिटी में नहीं है। ब्रांच मैनेजर द्वारा मुख्य प्रबंधक का मोबाईल नं. दिया गया, आयोग के शासकीय मोबाईल से मुख्य प्रबंधक से बात की गई जिसमें मुख्य प्रबंधक ने सम्पूर्ण प्रकरण को दो माह में निराकरण कर जमीन बंधनमुक्त करने का मौखिक आश्वासन दिया परंतु आयोग द्वारा अनावेदक ब्रांच मैनेजर को आयोग ने आज की सुनवाई की निशुल्क प्रति उपल्बध कराया जिसके आधार पर मुख्य प्रबंधक द्वारा लिखित में पूरी जानकारी आयोग को दिया जायेगा। आयोग ने सक्त निर्देश दिया कि आगामी दो माह में अगर बुजुर्ग महिला की जमीन को बंधनमुक्त नहीं किया गया तो एफ.आई.आर. दर्ज करने के लिए निर्देशित किया जायेगा।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ने 2018 में आर्य समाज में विवाह किया लेकिन शादी के बाद अनावेदक का अपराधिक रिकॉर्ड के कारण आवेदिका को छोड़ दिया और कहा कि तुम दुसरी जगह शादी कर लो। अनावेदक के उपर अपराधिक मामले चल रहे है। जिसके कारण अनावेदक ने आवेदिका को छोड़ दिया था। डेढ साल मायके में रहने के बाद आवेदिका के माता-पिता ने आवेदिका का सामाजिक रीति-रिवाज से विवाह कर दिया।आवेदिका के दूसरे विवाह से एक 3 वर्ष का बच्चा है। अगस्त 2022 से अनावेदक आवेदिका और उसके पति को फोन पर गाली-गलौच कर धमकी दे रहा है कि वह अनावेदक के साथ रहे जो कि आवेदिका के लिए प्रताड़ना का कारण है। आयोग के सदस्यों द्वारा समझाईश देने पर अनावेदक ने आवेदिका और उसके पति से सार्वजनिक रूप से कान पकड़कर माफी मागी और भविष्य में दोबारा प्रताडित नही करने का वादा किया एवं आयोग से आपसी रजामंदी से तलाक के लिए अनुरोध किया। आयोग ने कहा कि तलाक की प्रक्रिया पूर्ण होने पर प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा और अनावेदक पक्ष पर सक्त निगरानी रखी जायेगी।

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